साम्भल में पत्थरबाजी पर Udit Raj का बड़ा बयान, ‘यह गलत प्रवृत्ति खत्म होनी चाहिए
उत्तर प्रदेश के साम्भल जिले में स्थित जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर चल रहे विवाद ने हाल ही में देश भर में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। इस विवाद ने साम्भल में रविवार को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन भी उत्पन्न किया। इस बीच, पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदीत राज ने इस मुद्दे पर अपनी बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि साम्भल जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद पर जो भी घटनाएं हो रही हैं, वह एक गलत प्रवृत्ति है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि इस तरह के विवादों का बढ़ना देश के लिए ठीक नहीं है।
विवाद की पृष्ठभूमि
दरअसल, साम्भल में स्थित जामा मस्जिद को लेकर एक पक्ष ने दावा किया है कि यहां पहले हरिहर मंदिर था, जो अब मस्जिद के रूप में बदल गया है। इस दावे के बाद, एक समूह ने अदालत में याचिका दाखिल कर जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश प्राप्त किया। इसके बाद, सर्वे टीम ने मस्जिद का सर्वे शुरू किया। लेकिन इस दौरान विरोध और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं। इससे यह विवाद और भी तूल पकड़ गया।
साम्भल जिले में हुए इस सर्वे कार्य के दौरान पत्थरबाजी, आगजनी और हिंसक प्रदर्शनों की खबरें आईं। इन घटनाओं के बाद पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़ा कदम उठाया। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और प्रशासन ने यह तय किया है कि प्रदर्शनकारियों की पहचान सीसीटीवी के माध्यम से की जाएगी और उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उदीत राज का बयान
इस विवाद पर कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदीत राज ने एक बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विवादों को समाप्त होना चाहिए। उनके अनुसार, यह गलत प्रवृत्ति है, और इसे आगे बढ़ने नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मामले को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय को संज्ञान में लेना चाहिए, ताकि इस तरह के सर्वे आदेशों का रास्ता बंद हो सके। उनका कहना है कि अगर यही प्रक्रिया चलती रही, तो देश भर में इस तरह की घटनाओं का सिलसिला चलता रहेगा, जो एक गलत दिशा में जा रहा है।
उदीत राज ने कहा, “सर्वे का आदेश देने के बाद जो घटनाएं सामने आ रही हैं, उनका समाधान उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाना चाहिए। यदि इस प्रक्रिया को रोका नहीं गया तो हर जगह सर्वे होते रहेंगे और इससे समाज में और भी ज्यादा विभाजन होगा।”
साम्भल जामा मस्जिद सर्वे पर स्थिति
साम्भल में जामा मस्जिद के सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है। अब तक सर्वे टीम ने इस मस्जिद से संबंधित जरूरी आंकड़े जुटा लिए हैं। सर्वे रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी। हालांकि, इस सर्वे के दौरान कई हिंसक घटनाएं घटित हुईं। लोगों द्वारा पत्थर फेंके गए और प्रदर्शन किए गए, जिनकी वजह से स्थिति कुछ समय के लिए और भी तनावपूर्ण हो गई।
पुलिस प्रशासन ने हालात को नियंत्रण में करने के लिए पूरी ताकत से प्रयास किए हैं। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि पुलिस ने सभी हिंसक तत्वों को चिन्हित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज का सहारा लिया है और उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, सर्वे टीम ने स्थानीय लोगों से अपील की थी कि वे शांतिपूर्ण तरीके से इस मुद्दे का समाधान करें और पत्थरबाजी जैसी घटनाओं से बचें।
हिन्दू पक्ष का दावा
साम्भल जामा मस्जिद के विवाद में हिन्दू पक्ष का कहना है कि इस मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाद में मस्जिद में बदल दिया गया। इस दावे के समर्थन में एक पक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश प्राप्त किया। उनका कहना था कि यह मस्जिद पहले एक मंदिर थी, और इसका सर्वे करके सत्य का पता लगाया जाना चाहिए।
इसके जवाब में मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि यह मस्जिद किसी भी प्रकार से किसी मंदिर के स्थान पर नहीं बनी है। इस विवाद के चलते साम्भल में तनाव का माहौल बना हुआ है और दोनों पक्षों के बीच बहस जारी है।
क्या है विवाद की असल वजह?
यह पूरा विवाद दरअसल धार्मिक संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है, और समाज में एकता और भाईचारे की भावना को नुकसान पहुंचा सकता है। जब से यह सर्वे आदेश जारी किया गया है, तब से साम्भल और आस-पास के इलाकों में तनाव बढ़ा है। विभिन्न धार्मिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने-अपने पक्ष रखे हैं।
अंततः यह स्पष्ट है कि इस तरह के विवादों से सिर्फ समाज में तनाव और अराजकता बढ़ेगी। ऐसे मामलों में अदालत और प्रशासन को चाहिए कि वे बिना किसी पक्षपाती रुख के मामले का समाधान करें, ताकि सामूहिक सद्भाव बनाए रखा जा सके।
साम्भल में हुए सर्वे के विवाद और उससे जुड़ी हिंसा की घटनाएं समाज में विभाजन और संघर्ष को बढ़ावा देती हैं। इसे समाप्त करने के लिए सभी पक्षों को शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करना होगा। उदीत राज जैसे नेताओं का यह बयान कि इस तरह के विवादों को समाप्त किया जाना चाहिए, एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में एकता और शांति की ओर ले जा सकता है। यह समय है कि समाज अपनी धार्मिक संवेदनाओं को समझे और एकजुट होकर अपने देश की समृद्धि और भाईचारे के रास्ते पर चले।